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फर्जी क्लेम से बीमा कंपनी को करोड़ों की चपत, विशेष जांच दल ने किया बड़ा खुलासा एसआईटी की जांच में उजागर हुई साजिश, राजेन्द्र सिंह समेत तीन के खिलाफ मुकदमा दर्ज

फर्जी क्लेम से बीमा कंपनी को करोड़ों की चपत, विशेष जांच दल ने किया बड़ा खुलासा एसआईटी की जांच में उजागर हुई साजिश, राजेन्द्र सिंह समेत तीन के खिलाफ मुकदमा दर्ज

फर्जी क्लेम से बीमा कंपनी को करोड़ों की चपत, विशेष जांच दल ने किया बड़ा खुलासा
एसआईटी की जांच में उजागर हुई साजिश, राजेन्द्र सिंह समेत तीन के खिलाफ मुकदमा दर्ज

 

लखनऊ/बरेली।
माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद खण्डपीठ लखनऊ के आदेश के अनुपालन में गठित विशेष जांच दल (SIT) ने मोटर दुर्घटना मुआवजा प्रकरण में फर्जीवाड़े का बड़ा खुलासा किया है।
आईसीआईसीआई लोम्बार्ड जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड बनाम श्रीमती रामावती व अन्य मामले (सिविल रिवीजन संख्या-49/2015) में पारित आदेश दिनांक 07.10.2015 के क्रम में की गई जांच के तहत यह घोटाला उजागर हुआ है।

विशेष जांच अधिकारी निरीक्षक संजय वर्मा द्वारा की गई जांच में सामने आया कि एमएसीटी वाद संख्या 650/2021 (राजेन्द्र सिंह बनाम आईसीआईसीआई लोम्बार्ड) में याची राजेन्द्र कुमार पुत्र मनोहर लाल निवासी मोहनपुर थाना देवरनिया जनपद बरेली द्वारा कोर्ट में झूठे तथ्यों के आधार पर ₹10.80 लाख का मुआवजा पाने के उद्देश्य से फर्जी याचिका दायर की गई थी।

याची द्वारा दावा किया गया कि 03 जनवरी 2021 को वह किच्छा से टैम्पो द्वारा घर लौटते समय एक मोटरसाइकिल द्वारा टक्कर मारने से घायल हुआ, जबकि जांच में सामने आया कि वह अपने गांव के अयोध्या प्रसाद के ट्रैक्टर पर बैठा था और अज्ञात ट्रक की टक्कर से नीचे गिरा, जिसके बाद किसी अज्ञात बाइक ने उसे टक्कर मारी।

प्रकरण की विवेचना के दौरान यह भी सामने आया कि याची के पिता द्वारा पहले एक मोटरसाइकिल (UP-25 BH 1285) को नामजद किया गया, परंतु बाद में वाहन का प्रकार कार निकला, तो उसने नई तहरीर देकर दूसरा वाहन (UP-25 CN 1591) आरोपित किया। स्थानीय पुलिस ने उसी आधार पर चालान किया।

SIT की जांच में स्पष्ट हुआ कि याची, उसके पिता मनोहर लाल और वाहन स्वामी/चालक चंचल पटेल ने आपसी साजिश के तहत बीमा कंपनी से आर्थिक लाभ प्राप्त करने हेतु घटना का स्वरूप बदलकर फर्जी मुकदमा दर्ज कराया और कोर्ट में मुआवजा याचिका दाखिल की।

इस आधार पर तीनों अभियुक्तों के विरुद्ध भादवि की धारा 193 (झूठी गवाही), 420 (धोखाधड़ी) व 120बी (षड्यंत्र) के तहत मुकदमा दर्ज किए जाने की संस्तुति की गई है। मुकदमे की विवेचना SIT द्वारा की जाएगी।

यह मामला बीमा कंपनियों को फर्जी दावों के जरिए की जा रही करोड़ों की चपत की बानगी भर है। SIT की जांच से ऐसे नेटवर्क का खुलासा हुआ है, जिससे मुआवजा कानून की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े हो रहे हैं।

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